अगर आप सरकारी स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों के माता-पिता या पालक हैं अथवा सरकारी स्कूल में अपने बच्चों को पढ़ाने वाले शिक्षक हैं.... तो मेरे इस आर्टिकल को ध्यान से पढ़ें, क्योंकि इसमें सरकारी स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों और उनके माता पिता, सरकारी स्कूल के बारे में क्या मंशा रखते हैं आपको पता चलेगा....
सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चे को तो पढ़ाई में थोड़ी सी भी रुचि नहीं,लेकिन उनके पालक या माता-पिता को भी अपने बच्चों के पढ़ाई में कोई दिलचस्पी नहीं है.... |
यह बात मैं इसलिए कह सकता हूं क्योंकि मैं एक शिक्षक हूं और बच्चों की रवैया और स्कूल तथा पढ़ाई को लेकर उनके मन में कोई सकारात्मकता नहीं दिखाई देता है.....
ये मैं रोज अपने स्कूल में साफ देख पाता हूं जिससे मुझे बहुत निराशा और दुख होता है..... 😔
हमारी सरकार शिक्षा में बहुत ज्यादा ही खर्च कर रही है, परंतु सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चे और उनको पढ़ाने वाले उनके माता-पिता शिक्षा के प्रति बिल्कुल जागरूक नहीं जिसकी वजह से बच्चे स्कूल तो आते हैं पर सिर्फ खानापूर्ति के लिए या तो आप यह कह सकते हैं कि वह सिर्फ मध्यान्ह भोजन खाने के लिए आते हैं.... |
आगे मैं कुछ प्रश्नों को जो मैं बच्चों से पूछता आया हूं, को आप लोगों के साथ साझा कर रहा हूं जिसका जवाब मुझे सुनकर और आप लोगों को पढ़कर बहुत ही निराशा और दुख होगा..... |
एक बच्चा दो-तीन महीने से एक भी दिन स्कूल नहीं आया था वह तिमाही परीक्षा में परीक्षा देने आया था मैंने उससे पूछा जब 3 महीने स्कूल नहीं आया तो अभी क्यों आया है....?
उसने जवाब दिया अभी स्कूल आने का मन किया तो आया हूं....
एक दूसरा बच्चा, वह भी भर्ती होने के बाद स्कूल नहीं आया था सैकड़ों बार उसको बुलाया गया पर वह नहीं आया था मगर इस तिमाही परीक्षा में परीक्षा देने आया था....
उसको भी मैंने पूछा इतने दिनों तक नहीं आया अब परीक्षा देने क्यों आया है???
उसका जवाब सुनकर मुझे बहुत ज्यादा गुस्सा आया और बहुत दुख भी हुआ....
उसने कहा कि उसके माता-पिता ने कहा कि परीक्षा चल रहा है परीक्षा देकर आ जाना....
और यह दोनों छात्र पक्का है परीक्षा देने के बाद स्कूल नहीं आएंगे और सिर्फ परीक्षा के समय दिखाई देंगे....
इसके अलावा ज्यादातर 👉
😔बच्चों का होमवर्क करके ना आना...
😔शिक्षकों की बात ना मानना...
😔नियमित स्कूल ना आना....
😔सिर्फ सूखा राशन लेने आना....
😔या मध्यान भोजन खाने आना....
😔पालकों का शिक्षक पालक मीटिंग में ना आना....
😔अपने बच्चों के पढ़ाई के प्रति बिल्कुल ध्यान ना देना.....
😔सिर्फ टाइम पास कराने के मतलब से ही बच्चों को स्कूल भेजना....
😔पढ़ाई के लिए नहीं बल्कि सिर्फ प्रमाण पत्र प्राप्त करने के लिए ही स्कूल भेजना... 😔समय-समय पर बच्चों को बिना मतलब के कामों में लगा देना....
😔बच्चा नियमित स्कूल आ रहा है कि नहीं ध्यान ना देना.... 😔
😞बच्चा स्कूल में क्या पड़ता है क्या लिखता है कभी ना पूछना....
इन सब बातों और प्रश्नों से पालक और समाज को कोई मतलब नहीं उनको सिर्फ और सिर्फ रिजल्ट चाहिए जो एक शिक्षक खुद से एक तरफा मेहनत करके नहीं दे सकता.....
मेरे कहने का मतलब है, जब तक सरकारी स्कूल में पढ़ने वाले बच्चे और उनको पढ़ाने वाले उनके माता-पिता मेहनत नहीं करेंगे शिक्षा पर उन बच्चों का अच्छी पकड़ नहीं बन सकती और साथ ही सिर्फ एक शिक्षक अपने दम में कुछ नहीं कर सकता......






Adhiktar sarkari schools me aisa hota hai.....palak bilkul dhyan nhi dete.
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